Wednesday, February 22, 2012

तुम्हें चलना है

तुम्हें चलना है 
मेरे नन्हें शव्दों 
तुम्हें कागज पर उतर कर 
विचलित नहीं होना ! 
तुम्हें चलना है ! तुम्हें चलना है! 
तुम्हें चलना है ! तुम्हें चलना है ! 
तुम्हें ठहर कर कागज पर 
भार नहीं बनना है 
तुम्हें फैल कर कागज पर 
दाग नहीं बनना है 
तुम्हें रुक कर किसी की आँखों में 
पीड़ा का अहसहस नहीं भरना है 
तुम्हें रुक कर किसी तूफान में 
विचलित मन नहीं करना है 
तुम्हें चलना है ! तुम्हें चलना है! 
तुम्हें चलना है ! तुम्हें चलना है ! 
तुम्हें सुबह की रोशनी पर चलना 
तुम्हें साँझ की दुपहरी सा भी ढलना है 
तुम्हें ऊँचे पहाड़ सा बनना है 
तुम्हें दहकती आग सा जलना है 
परन्तु तुम्हें ये याद रखना है 
तुम्हें चलना है ! तुम्हें चलना है! 
तुम्हें चलना है ! तुम्हें चलना है ! ..........रचना - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'


Friday, January 20, 2012

मतदाता

मत दाता तू कब समझेगा 
अंगूठे की आपनी ताकत को
सबसे प्यारा खेल है ये 
इस खेल की नजाकत को !
भूले विसरे आ जाते हैं 
झुण्ड बनाकर गली -गली में 
चहरे इनके खिल उठाते हैं 
फूल -फूल में कली-कली में !
नाम पे किसी के मत जाना 
झोली में किसी की क्या रखा है 
अंगूठे को अपने ये समझना 
कोई किसी का सगा नहीं है !
न पार्टी किसी की अपनी होती 
कुर्सी का ही खेल है सारा 
उस पर मिटते ये 'फिरौती' !
तन मन धन लूट के ये 
कुर्सी के गुणगान करते 
थे कभी तुम्हारी ही 'रज'
आज तुम्हारे भगवन बनते !! ............रचना राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।