Friday, August 31, 2018


इंशान क्या सोचे अब उसने तो चलना है जहाँ वीन बजाये चले सपेरा वहाँ साँप निकलना है! दौलत की पोटलियों पर साँप चढ़े है रेंग रेंग कर सबने देखा मगरूर सपेरा उंगली उठाये ढेर ढेर पर आशा लगाये बैठे हम तुम सच दफन हो रहा घेर घेर पर झोली में उसकी अब तो बड़े सपोलों का भंडार है अब तरकीब ही खोज रहा नही तो बंठाधार है। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

इंशान क्या सोचे अब उसने तो चलना है जहाँ वीन बजाये चले सपेरा वहाँ साँप निकलना है! दौलत की पोटलियों पर साँप चढ़े है रेंग रेंग कर सबने देखा मगरूर सपेरा उंगली उठाये ढेर ढेर पर आशा लगाये बैठे हम तुम सच दफन हो रहा घेर घेर पर झोली में उसकी अब तो बड़े सपोलों का भंडार है अब तरकीब ही खोज रहा नही तो बंठाधार है। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

Monday, August 27, 2018


कौन नही चाहता कि वह एक अध्यापक बने, एक अच्छा वक्ता बने, एक अच्छा ट्रेनर बने, एक बेहतरीन फैकल्टी बने। इस सब के लिए आपके पास अच्छी स्कूलिंग, अच्छी एजुकेशन, उत्तम शैक्षिक रिकार्ड आदि न जाने क्या क्या होना चाहिए। मगर ये भी सच है अच्छे ट्रेनर या अच्छे मोटिवेशनल होने के लिए जरूरी नही आपके पास अच्छा एजुकेशन ट्रेक रिकॉर्ड हो। आपके पास अपनी कार्यप्रणाली की अच्छी समझ, लोगों के मार्गदर्शन की क्षमता, कुछ अलग करने का विचार, जीवन के चैलेंज को स्वीकार ने की क्षमता होनी चाहिए। आपके अंदर जोखिम को मात देनी की ताकत को पैदा करने वाला विचार विद्यमान होना चाहिए। आईये आज इसी कड़ी में मिलते है एक छोटे 12 साल के थॉमस सुरेज से। आशा ही नही पूरी उम्मीद है आप भी अपने विचारों को गति देने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।

Thursday, August 23, 2018

बसग्याळ हो और अपने पहाड़ी जंगली फल घिंगारु की याद न आये संभव ही नही है।
"घिंघारू"__हिमालयी क्षेत्र में पायी जानेवाली वनस्पति कहते है कि ईश्वर की बनायी हर रचना का अपना महत्व है और ऐसा ही कुछ हिमालयी क्षेत्र में पायी जानेवाली वनस्पतियों के सन्दर्भ में भी सत्य प्रतीत होता है। इन वनस्पतियों की झाडियों में कुछ ऐसे फल पाए जाते हैं जिन्हें सुन्दरता के साथ-साथ पक्षी भी खाना पसंद करते हैं.. आप सेब के गुणों से तो परिचित ही होंगे लेकिन आज हम आपका परिचय हिमालयी क्षेत्र में पाए जानेवाले छोटे-सेब से कराते हैं ,जी हाँ बिलकुल सेब से मिलते जुलते ही इसके फल 6-8 mm के आकार के होते है। पर्वतीय क्षेत्र में "घिंघारू" के नाम से जाना जाता है! Rosaceae कुल की इस वनस्पति का लेटिन नाम Pyrancatha crenulata है जिसे "हिमालयन-फायर-थोर्न" के नाम से भी जाना जाता है। इसके छोटे-छोटे फल बड़े ही स्वादिष्ट होते हैं, जिसे आप सुन्दर झाड़ियों में लगे हुए देख सकते हैं I इसे व्हाईट-थोर्न के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ओरनामेंटल झाड़ीदार लेकिन बडी उपयोगी वनस्पति है। आइये इसके कुछ गुणों से आपका परिचय कराते हैं :- -इसकी पत्तियों से पहाडी हर्बल चाय बनायी जाती है! - इसके फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ खूनी दस्त का उपचार किया जाता है! -इस वनस्पति से प्राप्त मजबूत लकड़ियों का इस्तेमाल लाठी या हॉकी स्टिक बनाने में किया जाता है! -फलों में पर्याप्त मात्रा में शर्करा पायी जाती है जो शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान करती है! -इस वनस्पति का प्रयोग दातून के रूप में भी किया जाता है जिससे दांत दर्द में भी लाभ मिलता है! -इसके फलों से निकाले गए जूस में रक्त-वर्धक प्रभाव पाया जाता है जिसका लाभ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में काफी आवश्यक माना गया है! -इसे प्रायः ओर्नामेंटल पौधे के रूप में साज -सजा के लिए 'बोनसाई' के रूप में प्रयोग करने का प्रचलन रहा है ! -इस कुल की अधिकाँश वनस्पतियों के बीजों एवं पत्तों में एक जहरीला द्रव्य 'हायड्रोजन-सायनायड' पाया जाता है जिस कारण इनका स्वाद कडुआ होता है एवं इससमें एक विशेष प्रकार की खुशबू पायी जाती है। अल्प मात्रा में पाए जाने के कारण यह हानिरहित होता है तथा श्वास-प्रश्वास की क्रिया को उद्दीपित करने के साथ ही पाचन क्रिया को भी ठीक करता है। -घिंघारू के बीजों एवं पत्तियों में पाए जानेवाले जहरीले रसायन "हायड्रोजन सायनायड" के कैंसररोधी प्रभाव भी देखे गए हैं लेकिन अधिक मात्रा में इनका सेवन श्वासावरोध उत्पन्न कर सकता है।

Wednesday, August 22, 2018


तुम क्या हो बिना जाने ये
क्या समझ बैठे हो खुद को
एक दीप क्या जला आगे
खुदा समझ बैठे हो खुद को।
उंगलियों की ताकत का ये नजारा
तमाशा है समझा दीजिए खुद को
यहाँ कौन ठहरा है भला मैदान में
आसान है समझना बता दो बुत को! © - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

Tuesday, August 21, 2018

यदि संघर्ष ही करना है तो अपनी जिग्यांसाओं के झुरमुटों में अपने हृदय की आशाओं को टटोलते हुये आगे बढ़ो। निश्चित ही कोई नया रास्ता मिलेगा आने वाली पीढ़ी के लिए। @ राजेन्द्र सिंह कुँवर फरियादी'

Sunday, August 19, 2018

जीवन एक कैरियर अनमोल कैरियर है

हर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को आगे बढ़ाना चाहता है हम लोग जिंदगी को कॉपी पेस्ट की जिंदगी नही बनाना चाहते हैं मगर इसके लिए खुद कितना संकल्प ले के हम खड़े हैं। यदि अपनी इच्छा के अनुरूप हम कार्य कर के आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं तो निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। कर्म का कोई विकल्प नही होता और कर्म जब इच्छा के अनुरूप हो तो कभी भी उलझने खड़ी नही होती हर ओर रास्ते बनते चले जाते हैं। बस हिम्मत डगमगा न पाये। हर किसी की जिंदगी से प्रेरणा जरूर लें मगर कार्य क्षेत्र अपनी इच्छा के अनुरूप ही चुने क्योंकि मजबूरी से चुना हुआ रास्ता सदैव थकान देता है। अपना कैरियर कभी भी दूसरों की सफलताओं को देख कर न चुने। मन को दृढ़ कर के अपना रास्ता तब तक तलाशते रहें जब तक धरती पर लहराते वृक्षों से हम जीवन रक्षक वायु ग्रहण कर रहे हैं। अब ये आप पर निर्भर करता है कि जिंदगी सीखते हुये जीना चाहते हो या जीते हुये सीख कर जिंदगी जीना चाहते हो। अपने कैरियर को पहिचान ने के लिए यहाँ पर  क्लिक करें। 

सी यू ई टी (CUET) और बोर्ड परीक्षा का बोझ कब निकलेगा।

मेरा देश कहाँ जा रहा है। आँखें खोल के देखो।  सी यू ई टी ( CUET) के रूप में सरकार का यह बहुत बड़ा नकारा कदम साबित होने वाला है। इस निर्णय के र...