गिलोय के रस के अनेक लाभ हैं, जैसे―वायु विकार (गैस) में कमी, गठिया व जोड़ के दर्द से राहत, बुखार (Anemia), मोटापा, शरीर में टूटन-जकड़न, अभूख (appetite loss), थकान, कमजोरी, सोरायसिस (psoriasis) आदि सम्बंधी तकलीफों में लाभ हुआ है। इनके लिए इसे आप भी आजमा सकते हैं।
गिलोय, वानस्पतिक नाम Tinospora cordifolia एक बहुवर्षीय लता है। इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है जैसे अमृता, गुरुच या गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी आदि। गिलोय इतनी गुणकारी है कि इसका नाम अमृता रखा गया है। गिलोय की पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसके तनों में स्टार्च की भी अच्छी मात्रा होती है।
आयुर्वेद के अनुसार यह बुखार की महान औषधि के रूप में मानी गई है। इसके अतिरिक्त यह निम्नलिखित बीमारियों में बहुत लाभ पहुँचाती है―
खून की कमी दूर करें
गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और शरीर में खून की कमी को दूर करता है। इसके लिए प्रतिदिन सुबह-शाम गिलोय का रस घी या शहद में मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।
मोटापा कम करें
गिलोय मोटापा कम करने में भी मदद करता है। मोटापा कम करने के लिए गिलोय और त्रिफला चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ लें। या गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आँवला मिला कर काढ़ा बनाकर इसमें शिलाजीत मिलाकर पकाएं और सेवन करें। इसका नियमित सेवन से मोटापा कम हो जाता है।
बुखार में फायदेमंद
गिलोय एक रसायन है जो रक्तशोधक, ओजवर्धक, हृदयरोगनाशक, शोधनाशक और लीवर टॉनिक भी है। गिलोय के रस में शहद मिलाकर लेने से बार-बार होने वाला बुखार ठीक हो जाता है। या गिलोय के रस में पीपल का चूर्ण और शहद को मिलाकर लेने से तेज बुखार तथा खांसी ठीक हो जाती है।
पेट के रोग में लाभकारी
गिलोय के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट से सम्बंधित सभी रोग ठीक हो जाते हैं। इसके साथ ही आप गिलोय और शतावर को साथ पीस कर एक गिलास पानी में मिलाकर पकाएं। जब उबाल कर काढ़ा आधा रह जाये तो इस काढ़े को सुबह-शाम पीयें।
गैस दूर करे
गैस, जोड़ों का दर्द, शरीर का टूटना, असमय बुढ़ापा, वात के असंतुलित होने का लक्षण है। गिलोय का एक चम्मच चूर्ण घी के साथ लेने से वात संतुलित होता है।
गठिया
गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारियां (गठिया) रोग ठीक होता है।
हृदय-रोग के लिए लाभकारी
गिलोय एक रसायन है, यह रक्तशोधक, ओजवर्धक, हृदयरोगनाशक, शोधनाशक और लीवर टॉनक भी है। यह पीलिया और जीर्ण ज्वर का नाश करती है अग्नि को तीव्र करती है, वातरक्त और आमवात के लिए तो यह महा विनाशक है।
पीलिया के मरीजों के लिए गिलोय लेना बहुत ही फायदेमंद है। कुछ लोग इसे चूर्ण के रूप में लेते हैं तो कुछ इसकी पत्तियों को पानी में उबालकर पीते हैं। आप गिलोय की पत्तियों को पीसकर शहद के साथ मिलाकर भी ले सकते हैं। इससे पीलिया में फायदा होता है और मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाता है।
गिलोय और किडनी की समस्या―
गिलोय का रस मूत्रल है। यह वृक्कों (गुर्दो―Kidney) की प्रक्रिया तेज करके अधिक मूत्र निकालता है। गिलोय हमारे लीवर तथा किडनी में पाए जाने वाले रासायनिक विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। वात की खराबी से पैदा होने वाले मूत्र सम्बंधी रोग गिलोय के रस से दूर होते हैं।
गिलोय रस के नुकसान―वैसे तो गिलोय का रस बहुत ही फायदेमंद है लेकिन इसको ज्यादा मात्रा में लेने से आपको ये नुकसान भी हो सकते हैं―
➤जिन व्यक्तियों को गिलोय की बेल से एलर्जी है उनको इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
➤गिलोय का इस्तेमाल ज्यादा करने से आपको उल्टी या दस्त की समस्या हो सकती है।
➤यदि आप मधुमेह (diabetes) की औषधि ले रहे हैं तो बिना डॉक्टर से पूछे गिलोय का सेवन नहीं चाहिये।
➤गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी गिलोय का इस्तेमाल वर्जित है।
➤गिलोय को सर्जरी से पहले या ऑपरेशन के बाद सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह ब्लड शुगर को प्रभावित करता है, और इसके कारण सर्जरी के घाव सूखने में समस्या हो सकती है।
ब्लड शुगर का स्तर कम होने पर―
गिलोय के सेवन से ब्लड शुगर कम होता है। यह कब्ज और निम्न रक्त शर्करा (low blood sugar) की समस्या भी कर सकता है। इसलिए यदि ब्लड शुगर पहले से ही कम है तो गिलोय का सेवन बिलकुल भी न करें। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो ब्लड शुगर कम करते वक्त सावधानी बरतें। डायबिटीज में चिकित्सक की सलाह के बिना इसका सेवन न करें।
क्या छोटे बच्चों को गिलोय देना ठीक होगा?
बहुत छोटे बच्चों या फिर नवजात को गिलोय देना खतरनाक भी हो सकता है। अलबत्ता पांच साल की उम्र से बड़े बच्चों को गिलोय देने में कोई बुराई नहीं है। छोटे बच्चों को एक दिन में 250 मिलीग्राम से अधिक गिलोय बिल्कुल भी न दें।
पेट की समस्या होने पर―
अगर आपको पेट की समस्या है तो गिलोय का प्रयोग बिल्कुल न करें, क्योंकि इसके कारण अपच की शिकायत हो सकती है। अपच की समस्या होने पर इसका किसी भी तरह से (कैप्सूल या रस आदि) प्रयोग न करें। इसके कारण पेट में दर्द और मरोड़ की शिकायत भी हो सकती है।
स्व-प्रतिरक्षण शक्ति (Autoimmune) बीमारी का खतरा―
शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता (Immunity) का सुचारु होना बहुत जरूरी है, लेकिन यदि यह शक्ति बहुत अधिक सक्रिय हो जाये तो भी खतरनाक है क्योंकि इस स्थिति में ऑटोइम्यून बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। यानी गिलोय के अधिक सेवन से ल्यूपस, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, रूमेटाइड अर्थराइटिस आदि जैसी बीमारियां हो सकती हैं। अगर आपको ये बीमारियां हैं तो गिलोय का सेवन बिलकुल न करें।
गर्भावस्था के दौरान―
गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसके कारण इस दौरान शरीर पर नकारात्मक असर पड़ता है।
विशेष―डॉक्टर से पूछे बिना गिलोय या किसी अन्य औषधि का सेवन नहीं करना चाहिये। @
संग्रहकर्ता -
श्याम सिंह रावत जी।
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