पानी होना चाहिए आँख में।
आखों में भी पानी होना चाहिए 
सिर्फ नदी नालों में पानी की औकात नही।
कृषि बिलों का महत्व कब क्या हो,
ये यूँ ही कोई किसानों को सौगात नही। 
दवा हर मर्ज की मिलनी चाहिए 
यहाँ रोगों की अपनी कोई औकात नही 
कब कदम कहाँ रखना है 
मालूम होना चाहिए ये कोई सौगात नही। 
तुम लड़ो! हर आवाज मिलनी चाहिए 
किसी ओर के आवाज की कोई औकात नही 
कदम मेरे अपने हैं कहीं रखूँ
हर किसी के लिए अब ये कोई सौगात नही। 
पानी होना चाहिए आँख में 
जल-प्रपातों की यहाँ कोई औकात नही। 
तुम क्या समझो समझ लेना!
मेरे किसानों को इससे बड़ी कोई सौगात नही। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 
 
 
 
5 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 21 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सामयिक और यथार्थ का सटीक चित्रण ।
शानदार🙏
वाह!बेहतरीन 👌
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