तुम नही आते
आजकल
व्यस्तता की
उलझनों में
सिमट कर
रह गये हैं।
पर कहाँ ?
खेत खलिहान
घर परिवार
सब तो अब
जमाने की
बातें हो चली!
हाँ कोई नया
झुनझुना मिला होगा
उसने समेट लिया
मन को मन से
तभी सब कुछ
भुलाकर गुमसुम हो।
बस लड़ रही हैं!
अपने सुकून के लिए
हम और हमारी यादें। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
आजकल
व्यस्तता की
उलझनों में
सिमट कर
रह गये हैं।
पर कहाँ ?
खेत खलिहान
घर परिवार
सब तो अब
जमाने की
बातें हो चली!
हाँ कोई नया
झुनझुना मिला होगा
उसने समेट लिया
मन को मन से
तभी सब कुछ
भुलाकर गुमसुम हो।
बस लड़ रही हैं!
अपने सुकून के लिए
हम और हमारी यादें। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
3 comments:
जय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
22/12/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(२२-१२ -२०१९ ) को "मेहमान कुछ दिन का ये साल है"(चर्चा अंक-३५५७) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
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