दुनियाँ में हर इंशान के अंदर भिन्न भिन्न अभिरुचियों के सैलाव अंगड़ाई लेते रहते हैं यदि आप इनको पकड़ पाते हैं तो निश्चित ही आप रचनात्मक अभिरुचि के परम साधक बन सकते हैं। समय और उम्र के अनुरूप हर जीव की रुचि परिवर्तित होती रहती है इन सभी प्रकृति परिवर्तनों के बावजूद भी यदि अभिरुचि व्यक्ति को अपनी ओर खींचती हो तो निश्चित आपकी मंजिल उधर ही है। शिक्षा के साथ साथ रचनात्मकता का निखार होना भी अति आवश्यक है आज यदि टेक्नोलॉजी पर गहराई से नजर दौड़ाई जाय तो रचनात्मकता ज्यादा प्रभावी है यही उत्कृष्ट सफलता का मूल राज भी है। आज जानते हैं नागार्जुन संदुपतला जी द्वारा बाँसुरी पर उँगलियों की चाल को कैंसे प्रभावी बनाया जाय। फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब के साथ साथ जितने भी सोशियल मीडिया है यदि हम उनका उचित उपयोग कर पायें तो आजीविका का भी एक साधन हमारे पास उपलब्ध हो सकता है।
#बाँसुरी
#शिक्षा
#स्कूल
#गुरुकुल
#अभिरुचि
#शिक्षा
#स्कूल
#गुरुकुल
#अभिरुचि
No comments:
Post a Comment