राष्ट्र किया जिन्हें समर्पित
वे जन सेवक क्या चाहाते हैँ
झूठा है केजरिवाल फिर क्यों
केजरिवाल से इतना घबराते हैँ
तन क्षीण हुए इन सब के अब
खाली संगठित का ढोंग रचाते हैँ
राष्ट्र किया जिन्हें समर्पित
वे जन सेवक क्या चाहाते हैँ ।
देख पग कोमल केजरी के
हर रोज काँटे बिछाते हैँ
खरोच खुद पर जब आती है
जन सेवक बन आँसू बहाते हैँ
राष्ट्र किया जिन्हें समर्पित
वे जन सेवक क्या चाहाते हैँ ।
खुद की ताकत को अपनी
हर रोज आँधी बताते हैँ
पतंगे बन के न जल जाएँ
भय इतना केजरी से खाते हैँ
राष्ट्र किया जिन्हें समर्पित
वे जन सेवक क्या चाहाते हैँ । @ रचना -सर्वाधिकार, सुरक्षित - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
वे जन सेवक क्या चाहाते हैँ
झूठा है केजरिवाल फिर क्यों
केजरिवाल से इतना घबराते हैँ
तन क्षीण हुए इन सब के अब
खाली संगठित का ढोंग रचाते हैँ
राष्ट्र किया जिन्हें समर्पित
वे जन सेवक क्या चाहाते हैँ ।
देख पग कोमल केजरी के
हर रोज काँटे बिछाते हैँ
खरोच खुद पर जब आती है
जन सेवक बन आँसू बहाते हैँ
राष्ट्र किया जिन्हें समर्पित
वे जन सेवक क्या चाहाते हैँ ।
खुद की ताकत को अपनी
हर रोज आँधी बताते हैँ
पतंगे बन के न जल जाएँ
भय इतना केजरी से खाते हैँ
राष्ट्र किया जिन्हें समर्पित
वे जन सेवक क्या चाहाते हैँ । @ रचना -सर्वाधिकार, सुरक्षित - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
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