कोई भीख लेता है कोई भीख मांगता है,
है भिखारी कौन ये कोई नहीं जनता,
कोई महलों से फैलाता है हाथ अपना,
बटोरते हैं कोई चौराह से सपना
फर्क बस रंग का है दोस्तों
कोई काले कलूटे फटे बस्त्र समेटे
कोई लहराता गेरुवा और खाकी भेष में
देखो सूरमाओं का छुपा चेहरा मेरे देश में
कोई भीख लेता है कोई भीख मांगता है,
है भिखारी कौन ये कोई नहीं जनता l -रचना @ राजेंद्र सिंह कंवर 'फरियादी'
है भिखारी कौन ये कोई नहीं जनता,
कोई महलों से फैलाता है हाथ अपना,
बटोरते हैं कोई चौराह से सपना
फर्क बस रंग का है दोस्तों
कोई काले कलूटे फटे बस्त्र समेटे
कोई लहराता गेरुवा और खाकी भेष में
देखो सूरमाओं का छुपा चेहरा मेरे देश में
कोई भीख लेता है कोई भीख मांगता है,
है भिखारी कौन ये कोई नहीं जनता l -रचना @ राजेंद्र सिंह कंवर 'फरियादी'
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