इस कम्प्यूटर युग में हिंदी की स्थिति पर असमंजस्य ज्यूँ का त्यूं बना हुआ है, कुछ लोगों की मजबूरी के कारण विकाश हुआ फौंट सिस्टम और ट्रांसलेशन टूल्स का ..........क्या आप जानते है आज के कम्प्यूटर युग में हिंदी का अपना कोई ठिकाना नहीं है वो किराये के मकान में रहती है हाँ ये सच है कि एक अच्छे किरायेदार के रूप में उसने अपने आप को स्थापित कर लिया है .................ये बात सिर्फ और सिर्फ हिंदी के लिए ही नहीं अपितु विश्व की तमाम अन्य भाषाओं के लिए भी है अंग्रेजी को छोड़कर ......सब की भूमिका एक किरायेदार की है .............(अन्तर्जाल) अन्तर्राष्ट्रीय कम्प्यूटर तन्त्र पर सिर्फ और सिर्फ इंग्लिश का ही बोलबाला है ............जिसप्रकार बी. सी. सी. आई. ने हमारे देश के क्रिकेट को जकड रखा है उसी प्रकार (WWW) वर्ल्ड वाईड वेब ने सम्पूर्ण भाषाओँ को जकड रखा है...................भाषा के क्षेत्र में ये बहुत ही ज्वलंतसिल मुद्दा है मगर हमारी सरकारें और भाषा विभाग इस पर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं करना चाहते हैं ......हो सकता है यहाँ पर भी भाषा की कोई फिक्सिंग हो रही हो
आप इस पंक्ति को देखिये ................इन्टरनेट पर एकमात्र स्थान जहाँ पर आपको हिंदी के वेब एड्रेस मिलतें हैं ।
Here you will be able to find links to all popular websites which have Hindi content.
मगर आधार देखिये इसका भी अंग्रेजी है सिर्फ फौंट सिस्टम और ट्रांसलेशन टूल का फायदा हिंदी को मिल रहा है ..................आप क्या कहते हैं क्या हमारी भाषाएँ आपना आधार स्थापित नहीं कर पाएंगी या स्थापित करने की कोशिश ही नहीं की गयी है
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4 comments:
hamari bhashayen apnon ki upeksha ka hi shikar hui hain .hame hi is disha me sarthak prayas karne hongen .
सामयिक सार्थक चिंतन ...
आप की बात से सहमत हूँ...
बहुत सही कहा आपने..
prathamprayaas.blogspot.in-
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