Wednesday, June 8, 2011

तुम दूर हुए तो याद पास आयी


तुम दूर हुए तो याद पास आयी,
क्या यही तोफा है दोस्ती का ?
सोचा न था तक़दीर एक दिन,
चल कर ये दिन भी दिखलाएगी,
हम तुम दूर होंगे याद पास आएगी !
तुम दूर हुए तो याद पास आयी,
क्या यही तोफा है दोस्ती का ?
वो तूफान हमने न कभी देखा था,
अरमानो की कश्ती को जो खेता है,
दुनिया का सायद यही तकाजा है,
यादें मिल जाती हैं यार विछुड़ जाता है,
तुम दूर हुए तो याद पास आयी,
क्या यही तोफा है दोस्ती का ?
तुम्हारे  यूँ   चले   जाने   से,
यादें   जो   आ   रही    हैं ,
दुवायें होंगी तुम्हारी ये मगर,
हमें  तो  ये  जला  रही  हैं !.....रचना --राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 

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