Tuesday, June 7, 2011

मेरा साथी


मेरा साथी वो सपना हैं,
तुम्हे लेकर जो आता है,
देख अधर की हंसी तुम्हारी,
मन भैरा सा गता है !
तुमने मुड़कर देखा ही कब,
फिर भी तुमको मित बनाऊं .
सपना भी ये कुछ पल का है,
इसको ही मैं गीत सुनाऊं !
जाने कौन पुकार सुने,
छोटे से इस वेबस मन की,
यहाँ विकता हैं ' दिल ' पैंसों में,
कौन सुने फिर मुझ निर्धन की !.....रचना ...राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'   

2 comments:

सर्वत एम० said...

आप में प्रतिभा है लेकिन उसका निखार आपको स्वयं करना होगा. किसी समर्थ रचनाकार से कुछ दिन सलाह-मशवरा कर लें, समस्या दूर हो जाएगी. टाइप में जल्दबाजी करके आपने बहुत सी त्रुटियाँ पैदा कर ली हैं. संयम से काम लें.

राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' said...

सर्वत एम जी आप का बहु बहुत आभार, जो आप ने आपमें अमूल्य समय निकल कर मेरे ब्लॉग को धन्य किया, जरूर जी आप की इस महान सलाह के लिए आप का पुनः धन्यवाद

मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।