नन्हा बच्चा बन कर तेरी,
गोद में मैं जब आया था,
आपने जैसे देख अनोकों,
मैं कितना हर्षाया था,
जल विहीन घट सा था मैं,
तुमने मुझको भर डाला,
एक अंधियारी रात्रि को
तुमने सबेरा दे डाला,
तेरी कृपा का हूँ आभारी,
नतमस्तक तुझे सदा माँ,
आँचल तेरा सबसे प्यारा,
देख चूका हूँ सारा जहाँ ........रचना राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
3 comments:
dil ko chu gai da aapki ye panktiya......bahut hi sunder........
badhut badhiya ji..........great.!
keep it up.
Bahut sundar...
Post a Comment