Sunday, June 5, 2011

मेरी पाठशाला


नन्हा बच्चा बन कर तेरी,
गोद में मैं जब आया था,
आपने जैसे देख अनोकों,
मैं कितना हर्षाया था,
जल विहीन घट सा था मैं,
तुमने मुझको भर डाला,
एक अंधियारी रात्रि को
तुमने सबेरा दे डाला,
तेरी कृपा का हूँ आभारी,
नतमस्तक तुझे सदा माँ,
आँचल तेरा सबसे प्यारा,
देख चूका हूँ सारा जहाँ ........रचना राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 

3 comments:

shivi said...

dil ko chu gai da aapki ye panktiya......bahut hi sunder........

ashok said...

badhut badhiya ji..........great.!
keep it up.

Unknown said...

Bahut sundar...

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