देखल्यादौं
खोली तै आँखि आपरी
क्षणेक देखल्यादौं!
बोलण सी कैका क्या होण
सोची ल्यादौं!
देखल्यादौं
गौं घौर चौक सग्वाडी हफार
निरासेयाँ सैरा बार त्यौहार!
भट्याना छन विकास हवेगे,
खोली तै आँखि आपरी
क्षणेक,
रूसायूँ उत्तराखंड भी
देखल्यादौं @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
खोली तै आँखि आपरी
क्षणेक देखल्यादौं!
बोलण सी कैका क्या होण
सोची ल्यादौं!
देखल्यादौं
गौं घौर चौक सग्वाडी हफार
निरासेयाँ सैरा बार त्यौहार!
भट्याना छन विकास हवेगे,
खोली तै आँखि आपरी
क्षणेक,
रूसायूँ उत्तराखंड भी
देखल्यादौं @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'