~~~ ढुंगा ~~~
ढुंगा उठ्यां भी छन
ढुंगा छुप्याँ भी छन
ढुंगा फर्कणा भी छन
ढुंगा सर्कणा भी छन
क्या बोन यूँ ढुंगों कु
ढुंगा ढुंगा भी नि छन!
देखा टिडागी पौंडीं हफार
निर्भाग्यों कु बण्युँ व्यापार
भौ कुई देंदु नि यूँ तैं कभी
छौंदी कुड्यों बण्याँ खंद्वार!
ढुंगा उठ्यां भी छन
ढुंगा छुप्याँ भी छन ......!
टकराणा छिन आफुमा
कच्चाकी पौंडीं देहगाथ
मुछालौं सी सुलग्याँ छन
कैंमा लगौंण छुयीं बाथ!
ढुंगा उठ्यां भी छन
ढुंगा छुप्याँ भी छन .....!
समझणा भी छन
ढुंगा ढुंगा ही छन
मुखुड़ि घसिं माटन्
माटासी यी खुश छन! @- राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियाद'
2 comments:
ढुंगा छोड़ि अब त्त ईंट ह्वैगि
अब मजबूत न चमक-धमक ज्यादा ह्वैगि
भौत बढ़िया
जी प्रणाम। हार्दिक धन्यवाद मैंम। आशा है यूँ ही आपका स्नेह बना रहेगा।
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