तुम्हारू भी क्वी अपरू नि,
जब चांदा फुन्डु फरकै देंदा,
अपरू भांडु छोड़ि तैं देखा,
बिराणु लौट्या उठा लेंदा।
त फिर नजरू कु फर्क क्या च!
बिन बादलळुकु शरक क्या च!
यूउडान्दू बथौं किलै नाच्णु देखा
मन मा तैका ठरक क्या च? @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
जब चांदा फुन्डु फरकै देंदा,
अपरू भांडु छोड़ि तैं देखा,
बिराणु लौट्या उठा लेंदा।
त फिर नजरू कु फर्क क्या च!
बिन बादलळुकु शरक क्या च!
यूउडान्दू बथौं किलै नाच्णु देखा
मन मा तैका ठरक क्या च? @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
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