गौं घौर गुठ्यारों मा आज भी
डाळयोँ कु छैल पसरयूँ च!
सरकी च आफु आपरी खुट्टीयोंन्
यू मंख्यों कु दोष च मंखि हरच्युं च!
पोथ्लियों कु चुंच्याट, नुन्यारों कु घुंघ्याट
गाड-गदरियों कु सिंस्याट
आज भी जुकुडी बुथ्योंणु च!
शहरूँन् लल्चाई मंखि कु ज्यू
देखा धौं ज्यू आज खुदेंणु च! @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
डाळयोँ कु छैल पसरयूँ च!
सरकी च आफु आपरी खुट्टीयोंन्
यू मंख्यों कु दोष च मंखि हरच्युं च!
पोथ्लियों कु चुंच्याट, नुन्यारों कु घुंघ्याट
गाड-गदरियों कु सिंस्याट
आज भी जुकुडी बुथ्योंणु च!
शहरूँन् लल्चाई मंखि कु ज्यू
देखा धौं ज्यू आज खुदेंणु च! @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
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