शब्दों की
आवाज
छू लेती है
तन मन को!
कभी
चलती है
लेकर हमें
अजनबी सफर को!
शब्दों की
आवाज
छू लेती है
तन मन को!
शब्दों की आवाज
तोड़ कर
सन्नाटे को
घुल जाती है
मधुर स्मृतियों सी
महकती तन मन में! @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
आवाज
छू लेती है
तन मन को!
कभी
चलती है
लेकर हमें
अजनबी सफर को!
शब्दों की
आवाज
छू लेती है
तन मन को!
शब्दों की आवाज
तोड़ कर
सन्नाटे को
घुल जाती है
मधुर स्मृतियों सी
महकती तन मन में! @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
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