कब तलक स्याही सा बिखर के,
तुम दाग बनके यूँ रोज निकलोगे,
कण-कण मे पिरो दो अपनापन,
हर रोशनी के सूरज तुम्ही बनोगे । @ पंक्तियाँ- सर्वाधिकार, सुरक्षित - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
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मेरा देश कहाँ जा रहा है। आँखें खोल के देखो। सी यू ई टी ( CUET) के रूप में सरकार का यह बहुत बड़ा नकारा कदम साबित होने वाला है। इस निर्णय के र...
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