Tuesday, May 17, 2011

मन बिचलित क्यों होता हैं

मैं खड़ा हूँ एक चौराहे पर,


राह सभी मुझे बुला रही हैं,


सुन पुकार इन राहों की अब,


मन बिचलित क्यों होता हैं,


लेकर यादें जो आया था,
अब वे हाथ हिला रही हैं,


देखा अकेला राही मुझको,


गलियां सभी बुला रही हैं .......... रचना राजेन्द्र सिंह कुँवर ' फरियादी'

2 comments:

अरुणा said...

बहुत सुंदर फरियादी जी

Shanno Aggarwal said...

बहुत सुंदर...बस यूँ ही आपका लेखन उन्नति की राहों पर बढ़ता रहे.

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