मैं खड़ा हूँ एक चौराहे पर,
राह सभी मुझे बुला रही हैं,
सुन पुकार इन राहों की अब,
मन बिचलित क्यों होता हैं,
लेकर यादें जो आया था,
अब वे हाथ हिला रही हैं,
देखा अकेला राही मुझको,
गलियां सभी बुला रही हैं .......... रचना राजेन्द्र सिंह कुँवर ' फरियादी'
राह सभी मुझे बुला रही हैं,
सुन पुकार इन राहों की अब,
मन बिचलित क्यों होता हैं,
लेकर यादें जो आया था,
अब वे हाथ हिला रही हैं,
देखा अकेला राही मुझको,
गलियां सभी बुला रही हैं .......... रचना राजेन्द्र सिंह कुँवर ' फरियादी'
2 comments:
बहुत सुंदर फरियादी जी
बहुत सुंदर...बस यूँ ही आपका लेखन उन्नति की राहों पर बढ़ता रहे.
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