Tuesday, February 1, 2022

जिंदगी हमें घसीट तो नही रही है ?

समय कहीं हमें घसीट तो नही रहा है?

दुनियाँ का हर व्यक्ति खुद के लिए चतुर होता है, आज हर  तीसरा व्यक्ति अच्छा पढ़ा लिखा है, हर छोर पर अच्छी जॉब भी है और अच्छा व्यवसाय भी साथ ही साथ रिस्क लेने की क्षमताओं में भी इजाफा हुआ है। पैंसा एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि बहुत कुछ है मगर सब कुछ नही यदि आज अपने चारों ओर नजर उठा के देखते हैं तो हर ओर एक नया स्टार्टअप नजर आ जायेगा। चाहे वो ट्रैवलिंग से सम्बंधित हो, खाने से सम्बंधित हो, फाईनेंस से सम्बंधित हो, दुकान या मॉल से सम्बंधित हो, पढ़ाई से सम्बंधित हो,लेखन से सम्बंधित हो,मंच से सम्बंधित हो, स्कूल या कालेज से संबंधित हो या तकनीकी डिग्री या सर्टिफिकेशन से सम्बंधित हो या राजनीति से सम्बंधित हो। लगभग हर क्षेत्र में नये नये लोगों ने परिचम लहराया है। मगर ये भी सच है कि अधिकांश मुँह लटकाये बैठे हैं उन्हें तनाव के साथ साथ अपनी शैक्षिक डिग्रियों ने घेर कर रख दिया है और जॉब के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इसमे न तो उनकी गलती है और न ही उनके घर वालों की बल्कि एक तरफ दौडती हुई दुनियाँ की गलती है। लोग सब कुछ जान कर भी जॉब के लिए उतावले हो जाते हैं और जब अपनी शैक्षिक योग्यता के अनुरूप पारिश्रमिक नही खोज पाते हैं तो तनाव ने जीने लगते हैं या अपनी आकांक्षाओं को वहीं पर खत्म कर लेते हैं, या अपने अनुभव को अपने मन मस्तिष्क पर बोझ बना कर खुद से कम्प्रोमाइज की जिंदगी जीने लगते हैं। यदि आप भी इस जीवन के चक्र में फंसे घुट रहे हैं तो अपने स्किल्स को डेवेलॉप कीजिए साथ ही सकारात्मक रुख से आगे कदम बढ़ाने की चेष्ठा कीजिए। रास्ता है और जरूर मिलेगा धौर्य धारण कीजिए। मैं कोई मोटिवेशन ट्रेनर नही हूँ और न ही किसी को भ्रमित करने हेतु लिखता हूँ। यह सब मेरा अनुभव है। मेरे जैसे कई लोग होंगे जो आगे बढ़ना चाहाते हैं मगर उन्हें उनकी परिस्थितियां रोक रही हैं। लेकिन ये भी सच है कि उन्हें उनके स्किल्स मालूम नही होंगे क्योंकि हमारी स्कूली शिक्षा हमें वो सब नही सीखाती हो जीवन को व्यवहारिक बना पाये,आज हमारे देश को स्वतंत्र हुये वर्षों हो चुके हैं मगर देश की अपनी मातृभाषा में कहीं भी 20 से 50 हजार या यूँ कहें लो प्रोफाईल वाली जॉब के लिए इन्टरव्यू का प्रथम गंतव्य अँग्रेजी से ही शुरू होता है। लेकिन कितने प्रतिशत लोग अँग्रेजी में परिपूर्ण हैं। देश का 70% तबका आज भी हिंदी ठीक नही बोल पता है। आप विश्लेषण खुद कीजिए  सब कुछ आपके सामने है।


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Wednesday, January 5, 2022

हताशा एवं निराशा क्यों ?

मस्ताने बचपन से जब कोई भी व्यक्ति अपनी युवावस्था की ओर कदम बढ़ाता है तो लगभग अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों को प्राप्त कर चुका होता है। मगर 90% युवा इस उपलब्धि के बाद कुछ हताश एवं निराश दिखने लगते हैं क्योंकि जिंदगी का मुख्य पडाव शुरू हो चुका होता है। कुछ अपनी शैक्षणिक क्षमताओं के आधार पर एवं कुछ अपनी जानपहिचान वालों की पहुँच के कारण अपने कैरियर को तराशना शुरू कर चुके होते हैं मगर अनुपात देखा जाय तो हताश एवं निराश की संख्या बहुत ज्यादा होती है। इनमें से भी 5 सालों के अन्दर कुछ अपनी पकड़ मजबूत कर के जिन्दगी की रफ्तार हिस्सा बन जाते है परन्तु अधिकांश इधर उधर भटकाव वाली जिन्दगी को लेकर तनाव का शिकार होकर या अपनी शैक्षिणक उपलब्धियों के कारण जीवन के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए खुद से लड रहे होते हैं। मैं भी खुद इस अनुभव का हिस्सा बन चुका था मगर मेरा एटिट्यूड सदैव लर्निंग वाला रहा। कभी भी परिस्थितियों से हार नही माना। परिस्थितियों से लड़ना ही हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है चाहे हो किसी भी आयुवर्ग का हो किसी भी समाज का हिस्सा हो। संपन्न हो या आर्थिक कमजोर। ऐंसा नही होता कि किसी संपन्न व्यक्ति को परिस्थितियां प्रभावित नही करती। हमारा मकसद हर उस युवा को एक व्यवस्थित जीवन यात्रा की ओर ले जाना है। यदि हमारी कहानी या जीवन यात्रा से किसी को मार्ग मिलता है प्रेरणा मिलती है या मोटिवेट होकर एक नये जीवन मार्ग का निर्माण निर्माण होता है तो इससे हमें कोई धन लाभ नही मिलेगा और न ही हमारे कार्यक्षेत्र में कोई प्रतिस्पर्धा उतपन्न होगी। मेरा मानना है कि हमारी प्रतिस्पर्धा स्वयं के कार्य, स्वयं के जीवन या स्वयं के संघर्षों से होती है। यदि कोई भी कार्य एक व्यक्ति कर सकता है तो दूसरा भी सुनिश्चित कर सकता है बशर्ते उस ओर बढ़ने के लिए मानसिक संतुलन एवं सीखने की उत्कंठा बहुत जरूरी है। आईये जीवन की इस संघर्षरत यात्रा को अपने कदमों एवं दुनियाँ के अनुभवों से जीतने की एक कोशिश करें। यदि ऐंसा कर पाते हैं तो सफलता सुनिश्चित है। आखिर शैक्षणिक उपलब्धियों के आधार पर  क्यों हम अपने जीवन को हताश एवं निराश बना के जीवन के साफर को संकुचित कर रहे हैं। शैक्षणिक उपलब्धियां हमारे जीवन को एक पथ पर ले जाने में सहायक हो सकती हैं जबकि उस पथ को प्रकाशित करने के लिए हमारा खुद के प्रति संकल्पित होना जरूरी है। हम मात्र अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों के भरोसे ही सफलता प्राप्त नही कर सकते। हमें लगातार हो रहे जीवन मे व्यवहारिक बदलाओं को भी सीखना पडेगा तभी जीवन की यात्रा के संघर्ष को कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। आप किसी भी उम्र के क्यों न हो बाजार के परिवर्तनों को पढ़े, सीखें एवं परिवर्तित हो रहे स्किल्स को अपनाए। यह प्रयास लगातार बना रहना चाहिए सफलता नही भी मिलेगी तो एक अच्छे रास्ते का आप निर्माण जरूर कर लेंगे। आज के समय मे जितना आलम बेरोजगारी को लेकर फैल रहा उससे कई गुना ज्यादा रोजगार सृजित हो रहे हैं खुद को तराशें, अपने इंटरेस्ट को भी आप अपना कैरियर बना सकते हैं, जीरो इन्वेस्टमेंट से व्यापारिक गतिविधियों में कदम रख सकते हैं, लेखन से लेकर इंजीनियरिंग तक का हर प्लेटफॉर्म हर जॉब हर व्यवसाय आज आपकी उस सोशियल साईट पर उपलब्ध है जहाँ पर आप हर दिन 3 से 5 घंटे का समय खर्च कर रहे हैं वो चाहे फेसबुक हो, व्हाट्सएप हो इंस्टाग्राम हो या ट्विटर इस सब का उपयोग आप अपने कैरियर को बनाने में यूज कर सकते हैं। आप यदि 10वीं या 12वीं भी है तो भी आप एम. बी. ए. या सॉफ्टवेर इंजीनियर के समक्ष खड़े हो सकते हैं। मात्र अंग्रेजी से मत डरिये यह एक सब्जेक्ट है। अंग्रेजी न बोल पाने या न लिख एवं न पढ़ पाने का जो अवरोधक मन मस्तिष्क मे विराजमान है उसे दूर किया जा सकता है। हां ये जरूर है कि अंग्रेजी बोलने या लिखने के कारण व्यक्ति थोड़ा ज्यादा कांफिडेंस लगता है मगर आप ये जान ले ऐंसा नही है उसको भी अपने कैरियर को व्यवस्थित करने के लिए उतना ही समय देना पड़ता है जितना एक अंग्रेजी न जानने ये समझने वाले को। हाँ यहाँ पर एक बात और स्पष्ट करना चाहता हूँ। हिंदी भी अपने आप मे एक व्यवसाहिक पहिचान बन चुकी है। बस एक संकल्प के साथ अपने कैरियर को आगे बढ़ाते रहें। सफलता के लिए यही एकमात्र बेसिक सिद्धान्त है। 

Sunday, December 12, 2021

शब्द

शब्द! रख लो कुछ मेरे, वक्त पर काम आयेंगे, कल मैं आऊँ या न आऊँ, ये सुबह शाम आयेंगे! शब्द! रख लो कुछ मेरे, वक्त पर काम आयेंगे! देखना! बदलता रहेगा हर चेहरे का रंग-रूप, धूप और पानी तो सब ये मौसम के नजारे हैं। उलझने तभी आती है जब जरूरी काम आयेंगे। शब्द! रख लो कुछ मेरे वक्त पर काम आयेंगे। @- राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

Saturday, November 20, 2021

पानी होना चाहिए आँख में

पानी होना चाहिए आँख में।

आखों में भी पानी होना चाहिए
सिर्फ नदी नालों में पानी की औकात नही।
कृषि बिलों का महत्व कब क्या हो,
ये यूँ ही कोई किसानों को सौगात नही।

दवा हर मर्ज की मिलनी चाहिए
यहाँ रोगों की अपनी कोई औकात नही
कब कदम कहाँ रखना है
मालूम होना चाहिए ये कोई सौगात नही।

तुम लड़ो! हर आवाज मिलनी चाहिए
किसी ओर के आवाज की कोई औकात नही
कदम मेरे अपने हैं कहीं रखूँ
हर किसी के लिए अब ये कोई सौगात नही।

पानी होना चाहिए आँख में
जल-प्रपातों की यहाँ कोई औकात नही।
तुम क्या समझो समझ लेना!
मेरे किसानों को इससे बड़ी कोई सौगात नही। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'


Sunday, January 10, 2021

Bitcoin ethereum ripple बिटकॉइन इथेरियम रिप्पल

 समय के साथ साथ दिन-प्रतिदिन नई नई तकनीकियां चुनौती बनती जा रही है और यही चुनौतियाँ रोजगार सृजन का एक विशेष विकल्प भी बनती जा रही है। समय के साथ आगे बढ़ने के लिए हर इंसान को इन चुनौतियों से पार पाना ही होता है। यदि हम खुद को अपग्रेड नही कर पाते हैं तो कहीं न कहीं समय की नजरों में खुद को पिछड़ा हुआ महसूस करते हैं। जब जब धरातल पर कुछ नया होता है समाज मे दो पक्ष सदैव उभर के आते हैं एक साथ खड़ा होता है जबकि दूसरा विरोध की डोरियाँ पकड़ लेता है। ये समय हम लोग काफी समय से देखते आ रहे हैं। जैसे गैस आने पर, कम्प्यूटर आने पर, प्रेशर कुकर के मार्केट में आने पर ठीक उसी प्रकार फेसबुक, यूट्यूब या व्हाट्सएप आने पर भी कई समय तक लोगों ने इन सोशियल प्लेटफार्मों से दूरियां बना कर रखी, मगर आज यही हर घर के हर सदस्य की जरूरत बन कर रह गयी। बिना कम्प्यूटर और सोशियल मीडिया के लोग खुद को अपंग महसूस करने लगे हैं। यह सब जीवन जीने का एक माध्यम बन चुका है हर व्यक्ति देर में ही सही पर तकनीकी को गृहण जरूर करता है। इसका एक प्रमुख उदाहरण डिजिटल टेक्नोलॉजी है लोग अपने बच्चों को फोन से दूर रखते थे मगर आज पढ़ाई भी फोन से ही होने लगी है, ठीक चार साल पहले विश्व बाजार में क्रिप्टो करेंसी के नाम से बिटकॉइन के रूप में बहुत शोर हुआ कुछ ने इससे अपनाया तो कुछ ने इससे दूरियां बना ली। मगर तब बिटकॉइन की कीमत मात्र 27 हजार थी और कई कंपनियाँ एवं एक्चेंज इसको लीगल एवं इन लीगल की लड़ाईयां लड़ रहे थे यही बिटकॉइन ( Bitcoin) आज इंडियन रुपये में 30 लाख की सीमा पार कर चुका है। इसके साथ कई क्रिप्टो करेंसीज एवं टोकनों का जन्म होना स्वाभाविक है इस रूप में बहुत सी क्रिप्टो करेंसी एवं टोकन आज बहुत सारे विश्व के साथ साथ भारतीय एक्सचेंजों पर उपलब्ध हैं। जिनमे से इथेरियम (ethereum) रिप्पल (ripple ) लाईट कॉइन (Litecoin) आदि प्रमुख रूप से है। यदि आप भी इन क्रिप्टो ( Crypto Currency ) के बारे में जानना चाहते हैं या इन करेंसी की ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो स्वतंत्र ररूप से भारतीय या विश्व के कई सारे एक्सचेंजों से कर सकते हैं। ये लीगल हैं या इन लीगल यह न सरकार बतायेगी और न ही कोई एक्चेंज, हाँ इससे यदि आप जुड़ते हैं तो आपके पैंसे से ये एक्चेंज भी कमाई कर रहें है और सरकारें भी। क्योंकि ट्रेडिंग इनकम पर टैक्स देना जरूरी है।लेकिन यदि ट्रेडिंग के दौरान आप अपनी धन संपत्ति से हाथ धो बैठते हैं तो न सरकार और न ही ये एक्चेंज आपकी आर्थिक मदद करेंगे। इसलिए यह रास्ता बहुत ज्यादा जोखिम भरा है कृपया इस पर चलने से पहले अपनी जानकारी पुख्ता जरूर करें। जितना ज्यादा जोखिम होता है कमाई या सफलता के चाँस उतने ही ज्यादा होते है। यह एक प्राकृतिक नियम है। इस पर आपकी क्या राय है जरूर साझा कीजिए। मेरी कोशिश है कि आप सभी के साथ इस तरह की तकनिकियाँ शेयर करता रहूँ। 

यदि आप भी इसमें ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो वजीरेक्स एप्प के द्वारा कर सकते हैं उनके लिए यहाँ क्लिक करें। 




Friday, January 8, 2021

प्रेरणादायक विचार

कोई प्रशंसा करे या निंदा दोनों ही स्थिति में जीवन के मूल्य का ज्ञान हो जाता है, क्योंकि प्रशंसा प्रेरणा देती है और निंदा सावधान होने का अवसर प्रदान करती है। 



Monday, October 5, 2020

Digital Visiting Card डिजिटल बिजनेस कार्ड

समय के बदलाव बहुत ही जरूरी है, अन्यथा समय की रफ्तार अपने लहरों से हमें उस ओर धकेल देती हैं जहाँ से हम दूसरों पर निर्भर रहना ही मुनासिव समझते हैं। चाहे कोई भी कार्य हो या दुनियाँ की कोई भी डिजिटल तकनीकी (Digital Technology) हो हर व्यक्ति के लिए एक जैसी ही होती है, बस फर्क होता है तो सिर्फ और सिर्फ हमारे मन और मस्तिष्क के समझने का। अक्सर हममें से अधिकांशतः कुछ नया सीखने से पहले अपने मन एवं मस्तिष्क में कुछ ऐंसी धारणाएं बना लेते हैं कि उन्हें हर तकनीकी भारी सी लगने लगती है या फिर उनके मन मस्तिष्क में शिक्षा या तकनीकी अज्ञानता का ब्लॉकेज आ जाता है। जबकि ऐंसा बिल्कुल नही है। इंसान चाहे तो कुछ भी तकनीकी आसानी से सीख सकता है वो भी बिना तकनीकी ज्ञान के। जैंसे हम सभी लोग मोबाईल ऑपरेट करना सीखें हैं। इससे भी अच्छा उदाहरण छोटे बच्चों का ले सकते हैं वो कितनी आसानी से किसी भी तरह के मोबाईल को यूज कर लेते हैं। हम बात कर रहे थे डिजिटल विजिटिंग कार्ड (Digital Visiting Card ) या Digital actionable and clickable digital Business card. यह आधिनिकता का अहसास भी करा देता है साथ ही हमारा ई मेल, कॉन्टेक्ट नम्बर, वेब एड्र्स, व्हाट्सएप नंबर, टेलीग्राम लिंक, फेसबुक लिंक, इंस्टाग्राम लिंक, ट्विटर लिंक ( E mail, Contect number, website address, whatsapp number, telegram, facebook, instagram, twitter,( जितनी चाहे सारी डिटेल्स एक छोटे से फॉर्मेट में दे सकते हैं, यह सब इतना आसान है कि आप 15 मिनट में सीख सकते हैं। हाँ कई लोग इसकी सर्विस भी देते हैं मगर खुद के नॉलेज हेतु अच्छा होगा कि हम खुद सीखें। अन्यथा दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। मैंने खुद इसे ट्राई किया और बना दिया। याद रहे मैं भी आप सभी की तरह कोई कम्प्यूटर के क्षेत्र का ज्ञान नही रखता हूँ और न ही कोई इंजीनियरिंग की डिग्री रखता हूँ। देहात के उन स्कूलों से पढ़ कर निकला हूँ जहाँ हिंदी सब्जेक्ट तक का अध्यापक नही होता था, बाकी इंग्लिश, मैथ एवं साइंस आदि तो बहुत दूर की बाते हैं। मैं आपको ये सब इसलिए बता रहा हूँ कि तकनीकी वाला बोझ आपके मन मस्तिष्क से हट जायेगा और आप का रुझान भी टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ने लगेगा। इससे आपको मानसिक एवं शाररिक रूप से बहुत से फायदे होंगे, जब भी आप किसी क्रेटिविटी वाले सब्जेक्ट पर वर्क करते हैं तो मानसिक तनाव दूर हो जाता है मन अपनी क्रेटिविटी को लेकर प्रसन्न रहता है कोई थकावट महसूस नही होती, वी पी शुगर कंट्रोल रहता है।  मेरा पहला विजिटिंग कार्ड का जेपीजी फॉर्मेट ये है आपका भी ऐंसा हो सकता है। डिजाईनिंग आप अपनी पसंद के अनुसार कर सकते हैं। 


डिजिटल विजिटिंग कार्ड की जानकारी के लिए आप यहाँ क्लिक करेें। 

ऊपर वाले लिंक पर आपको डिजिटल विजिटिंग कार्ड कैंसे बनाना है पूरी जानकारी मिल जायेगी। सीखने में यह बहुत सरल है। इस तरह ही डिजिटल प्लेटफॉम की हर बारीकियों को आप तक पहुंचाता रहूँगा बाद आपका स्नेह मिलता रहे।  


मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।