Monday, October 1, 2018

जानिए अपनी कलम की ताकत

अपनी लेखनी से अपना स्वरोजगार (Self Employment) शुरू कीजिए। है न सभी को हैरान करने वाली बात! बस ब्लॉगिंग ( Blogging ) और एफिलेट (Affiliate) के गुर सीखिये। कौन नही चाहता है कि उसका लेखन, उसकी कविताएँ, उसकी कहानी उसका लिखा कन्टेंट (Content)  उसके लिए स्वरोजगार (Employment) का माध्यम बने। आप किसके लिए लिखते हैं और क्यों लिखते हैं क्या आपके लेखन से आपको मेहनताना मिलता है ? कब से लिख रहे हैं आप ? क्या आपकी कलम द्वारा निकली पंक्तियों को केवल फेसबुक लाईक चाहिए ? क्या सिर्फ और सिर्फ आपके लेख पर वाह वाह लिख देने भर से आपको अपने लेखन का मेहनताना मिल जाता है। कितना समय देते हैं आप अपने लेखन को ? क्या लोकल मंच या गोष्टियों तक ही आपके लेखन की वाह वाह होती रहेगी या आप अपने लेखन प्रति गम्भीर हैं। क्या कभी किसी मंच संचालक या गोष्ठी संचालक ने आपको आपके लेखन की ताकत बताई है ? क्या आप अपने शौक के लिए लिखते हो ?

मित्रों समय बदल चुका है आप भी खुद को अपडेट कीजिए, यदि आप अपनी कलम की दोस्ती को बरकरार रखना चाहते हैं तो आपको समय के साथ सीखने और समझने की जरूरत है। आप फेसबुक पर या अन्य लोगों से सुन रहे होंगे या सुना होगा ब्लॉग, ब्लॉग केवल कविताओं या लेखों का ही प्लेटफॉर्म नही है बल्कि ब्लॉग (blog) आपके लिए रोटी जुटाने का भी काम कर सकता है बशर्ते आपको इसके लिए टेक्निक अध्ययन करना पड़ेगा। अक्सर हिंदी भाषी या हिंदी जानने वाले अधिकतर इन रास्तों से अनभिज्ञ होते हैं या विषय बस्तु अंग्रेजी में होने से अधिकांश हिंदी लेखक अपना रास्ता बदल देते हैं जबकि उन्हें इस बात का ज्ञान नही होता कि आज हर अंग्रेजी ब्लॉगर (blogger) हिंदी की ओर बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। हाँ एक बात साफ है यहाँ भी अन्य प्रोफाईलों जैंसा ही है हर तीसरे व्यक्ति अपनी रोटी नही पा सकता मगर यह भी सत्य है कि हर व्यक्ति यदि प्रयत्न करें तो अन्य नौकरियों और व्यवसाहियों जैंसा धन अर्जित कर सकता है और कुछ blogger कर भी रहे हैं। यह सिर्फ और सिर्फ अपने लेखन की ताकत को पहिचाने से हो सकता है। 

Sunday, September 30, 2018

बढो आगे बढो

बढो आगे बढो
रूको मत चलते चलो
पहिचानो उस सामर्थ्य को
जो हृदय और मस्तिष्क पर
चहलकदमी कर रही है ।

उतार दो उसे पथ पर
चढ़ने मत दो उसे रथ पर
स्वप्न संसार मे दौड़ने से
बोलो भला क्या मिलेगा । रचना - सर्वाधिकार, सुरक्षित राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'


Friday, September 28, 2018

विकास

भाषणों के शोर तले
कुचला गया बार बार
नव विकशित शिशु
जनमानस का प्यार!
अफवाओं के जाल में
नव भारत का विस्तार
उँगलियों पर रखते थे
खुद उँगलियों पर सरकार!
दिया तुम्हें अपना समझकर
यह अलौकिक अधिकार
गला घोट कर प्रतीक्षा करते
ये कैंसी नीति तेरी सरकार!
तुम भी आँख बंद कर
उसी पटल पर जी रहे थे
रक्त बहता रहा जन-जन का
तुम स्वाद लेकर पी रहे थे!
अब हुआ क्या जनाब जवाब दो
आँखों के आँसू नही मांगे हमनें
हर बार विपक्ष उठता था उँगली
इस बार मिलकर उठा दी सबने!  @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

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Thursday, September 27, 2018

भगदड़


यूँ ही उलझो और उलझाते रहो, हर दमन चमन की नीतियों को क्षणिक नही बौराए उनसे कभी जो मसल रहे अपनी रीतियों को। क्यों किसके लिए आज बौखलाये खुद को कुचने की साजिश रचते हो कर रहे हो निरंतर पूजन आकाओं का अपनों के बढ़ते शहीदों का तंज कसते हो। @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

Wednesday, September 26, 2018

चेतन मन

उड़ने दो मन की चेतना को,
अवसाद घुल जायेंगे सारे
घुटन भरे पथ पर कब तक
यूँ पल-पल जलते रहोगे प्यारे! @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

Tuesday, September 25, 2018

शब्दों की आवाज

शब्दों की
आवाज
छू लेती है
तन मन को!
कभी
चलती है
लेकर हमें
अजनबी सफर को!
शब्दों की
आवाज
छू लेती है
तन मन को!
शब्दों की आवाज
तोड़ कर
सन्नाटे को
घुल जाती है
मधुर स्मृतियों सी
महकती तन मन में! @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'






Thursday, September 13, 2018

उत्तराखंड

जुकुडी मा बीणाणी बात
कुमर सी या चुब्णी च,
क्यामाँगी होलू यू अलग उत्तराखंड
सोची रग रग दुःखणी च।

कैन जाणी यण हौण
अपरा घरकु फिकू लौण
देखा आज ये ताता दूधन्
घंटुली डामि छन! @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।