Sunday, August 12, 2018

देखल्यादौं

खोली तै आँखि आपरी
क्षणेक देखल्यादौं!

बोलण सी कैका क्या होण
सोची ल्यादौं!

देखल्यादौं
गौं घौर चौक सग्वाडी हफार
निरासेयाँ सैरा बार त्यौहार!

भट्याना छन विकास हवेगे,

खोली तै आँखि आपरी
क्षणेक,

रूसायूँ उत्तराखंड भी
देखल्यादौं @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

Saturday, August 11, 2018

डिजिटल टेक्नोलॉजी का यदि उचित उपयोग यदि इस आधुनिक प्रकार की शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार के लिए किया जाय तो यह बहुत बड़ा महत्वपूर्ण कदम होगा। 

Tuesday, August 7, 2018



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खौज ल्या उनका बोन बच्यांण
बानी बानी कि भौण छन
आफु दंक्या दन्की लग्यां
बिचारा बसग्याली बौह्ण् छन।

आँगुली उठा उठाकि देखा
आज बण्यां धौण छन
रौपणी सी ढान्ढ़ी बण्यां
बोना आफकु नौण छन। @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'



Monday, August 6, 2018


ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है, मित्रता दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की आप को ढेरों शुभकामनाएँ एवं बधाईयाँl


Saturday, August 4, 2018

चुनाव का मरघट ये अब,
फिर यूँ चरमराने लगा है।
फिर कत्ल होंगे हम तुम,
इन कातिलों का क्या है?
जख्म ही कुदेरे जाएँगे,
हर चेहरे के इस कदर।
नोच रहे हों फसलों को जैंसे,
जंगल से छूटे भूखे बन्दर।
कोहराम होगा महाभारत सा,
घर घर इस कदर जलाये जायेंगे।
राख-राख होगी ये इंसानियत,
फिर जुमले ही बरसाये जायेंगे। - @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

#चुनाव

Friday, August 3, 2018

बाँट दो ये जमीं
लहराती हवा
बहता हर पानी
बाँट दो, देश की बढ़ती हुई जवानी!
आँगन की चौखट
संसद की कुर्सी
कोर्ट कचहरी सब बाँट दो!
स्कूलों की शिक्षा
मंदिरों के मंत्र
अखबारों के पन्ने
गुरुद्वारे, मस्जिद चर्च शिवालय
बाँट दो, धर्मों की हर निशानी
बाँट दो देश के
हर अल्फाज को
सुख-सुविधा के
पनपते राज को
बाँट दो महकते रंग फिजा की परेशानी
पशुओं के पग चिन्ह
चिड़ियाओं के हर बिंब
धन दौलत के निशान
जलती चिताएं
सजते शमशान
बाँट दो ! बाँट दो ! बाँट दो - @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'












मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।