Monday, August 6, 2018


ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है, मित्रता दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की आप को ढेरों शुभकामनाएँ एवं बधाईयाँl


Saturday, August 4, 2018

चुनाव का मरघट ये अब,
फिर यूँ चरमराने लगा है।
फिर कत्ल होंगे हम तुम,
इन कातिलों का क्या है?
जख्म ही कुदेरे जाएँगे,
हर चेहरे के इस कदर।
नोच रहे हों फसलों को जैंसे,
जंगल से छूटे भूखे बन्दर।
कोहराम होगा महाभारत सा,
घर घर इस कदर जलाये जायेंगे।
राख-राख होगी ये इंसानियत,
फिर जुमले ही बरसाये जायेंगे। - @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

#चुनाव

Friday, August 3, 2018

बाँट दो ये जमीं
लहराती हवा
बहता हर पानी
बाँट दो, देश की बढ़ती हुई जवानी!
आँगन की चौखट
संसद की कुर्सी
कोर्ट कचहरी सब बाँट दो!
स्कूलों की शिक्षा
मंदिरों के मंत्र
अखबारों के पन्ने
गुरुद्वारे, मस्जिद चर्च शिवालय
बाँट दो, धर्मों की हर निशानी
बाँट दो देश के
हर अल्फाज को
सुख-सुविधा के
पनपते राज को
बाँट दो महकते रंग फिजा की परेशानी
पशुओं के पग चिन्ह
चिड़ियाओं के हर बिंब
धन दौलत के निशान
जलती चिताएं
सजते शमशान
बाँट दो ! बाँट दो ! बाँट दो - @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'












Sunday, July 29, 2018

ब्लोगिंग से हमें बहुत से लेखकों , साहित्यकारों , पत्रकारों , संपादकों , पत्रिकाओं शिल्पकारों कलाकारों आदि के बारे में जानने के लिए मदद मिलती है 

यदि आप भी इन महँ व्यक्तित्वों के बारे में जानना चाहते हैं तो कृप[या निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए :-





शिक्षा, जॉब, व्यवसाय की आशाएँ हमारे मन मस्तिष्क पर बरसाती नदियों की तरह अपने तटबंध तोड़ देती हैं। हम न चाहते हुये भी बहाव के उस मलवे की भांति बिखर जाते हैं। ज्यादातर ऐंसा ही होता है। जब तक हम लक्ष्य निर्धारित नही करेंगे और देखा देखी के रास्तों पर दौड़ना नही छोड़ेंगे तब तक आशाओं के बिंदुओं पर निराशाओं के घाव ही उभरते रहेंगे। आज यदि संसाधनों का उचित उपयोग किया जाय तो जॉब या व्यवसाय करना सबसे सरल है बस कमी है तो खुद को सुनियोजित ढंग से आगे न बढ़ा पाने की। जल्दी आप सभी मित्रों के लिए अपने ब्लॉग पर लेकर आ रहा हूँ जॉब और व्यवसाय की कुछ जानकारियाँ। आज कल बहुत से मित्रों के साथ साथ कई उन युवाओं के फोन आते हैं जो स्कूलिंग या प्रोफेशनल कोर्स कर के उस हकीकत वाली जमीं पर पाँव रखते हैं जहाँ से जीवन की अबोध लड़ाई शुरू होती है। सबसे पहले लोग जॉब तलाशते हैं ऐंसा क्यों ? ऐंसा होना भी स्वभाविक है क्योंकि 99%लोग अपने बच्चों को जॉब के लिए ही स्कूल, कालेज या प्रोफेशनल इंस्टीट्यूटों में भेजते हैं। सायद यह एक परंपरा है, हमें इससे कैंसे निकलना है यह भी मैं अपने ब्लॉग में बताने की कोशिश करूँगा, लेकिन इन सभी के पीछे हमारी एक मानसिकता है हम लोग कभी भी परंपरा से हट के खड़े होने से डरते हैं। डर कई तरह के होते हैं समाज का डर, परिवार का डर, खुद के असफल या पीछे रह जाने का डर, इन सभी डरों में मन की स्थिति को न पहिचान पाने का डर सबसे अधिक प्रभावशाली होता है। इस डर के कई कारण होते हैं इसका भी उल्लेख किया जायेगा। हो सकता है मेरे शब्द आपको आगे ले जाने में असमर्थ हो परन्तु मेरी शत-प्रतिशत कोशिश रहेगी शब्दों को मनन करने के बाद बार बार आपका मन और मस्तिष्क आपकी आशाओं को जागृत करता रहेगा और आपको अपनी आशा अनुरूप जॉब या व्यवसाय की ओर बढ़ने की शक्ति मिल पायेगी। हाँ इसके लिए आपको ब्लॉग पर निरंतर बना रहना होगा।

Friday, July 27, 2018

अखबारों की ये हालत है
हर पेज पर छीना झपटी
कहीं पर धरती की बेचैनी
कहीं पर साँसें हैं अटकी

कहीं मधुप से मंडराते हैं
कहीं पर आग लगाते हैं
गरजना सीखो ये मेघों इनसे
ये अखबार पानी बरसाते हैं।

शाम सुबह और दिन उलझे
सूरज चाँद सितारे झुलसे
इनसे आग निकल रही है।
बच रे मानव इनके कुल से।

इसका विस्तार हुआ जब से
मानव लाचार हुआ तब से
कलम सिसकती हैं देख नजारा
मदमस्त है ये अखबार आवारा।  @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'


Wednesday, July 25, 2018

जूड़ी दाथुडी हँसुली नाथुली
कन ऊ हमारा गैहणा छा
कथगा चुनाव देखिन हमन्
फिर भी हम सब भै-बैणा छा।

पर व्है क्याच यूँ द्वी सालू मा
आपस मा ही कटेंण् लग्याँ छा
बौक्णा छा झंडा लुकारु आफूतै
भाजपा काँग्रेस बतौण् लग्याँ छा।

गाळ-घातन् नि बौल्येंदा छा इथ्गा
जथ्गा अज्क्याल् बौल्येंदा छा
अंगोठू लगैकी इथ्गा तचिग्याँ
तैका तेल सी खौलेणा छा। @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'






मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।