Sunday, November 30, 2014

मेरे एक शब्द में कभी जी के देखिए,

तुम्हें हर मौसम का नजारा मिल जायेगा l 

बंजर में भी महकती हुई हरियाली,

और हरियाली में बंजर मिल जायेगा  ll  @ -  रचना -सर्वाधिकार सुरक्षित -राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'  

Wednesday, November 26, 2014

तेरे आँसुओं से आज आग जल रही है,

शीतल है ह्रदय, भावना पिघल रही है l  @ रचना - सर्वाधिकार सुरक्षित - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'  

Friday, November 21, 2014

खबर प्रशासन को सबकी है मगर,


कुछ चेहरे अखबार में उतारे जा रहे हैं l 


जो नेताओं पर हावी होते जा रहे हैं


वही लोग आजकल तलासे जा रहे हैं l @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 


Tuesday, November 18, 2014

तुम तो फिर,
चले आए सूरज ! 
उसी पथ पर,
जहाँ तुमने
बिखेरा अंधेरा । 
संभाल कर,
तलाश कर,
लाएँ हो
फिर वही सबेरा ।
तुम तो फिर,
चले आए सूरज ! - रचना सर्वाधिकार, सुरक्षित - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'



Saturday, November 8, 2014

बंद कर दो पढना इन हाथों की लकीरों को,
हर चहरे से आजकल रईशी झलकती है l - सर्वाधिकार सुरक्षित  @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 


Friday, October 10, 2014

बिपदा मा च देव भूमी

बिपदा मा च देव भूमी

हर क्वी डरयूँ च

बदरी केदार भूमियाळ अपणु

देखा कन छुप्पयूँ च ।

नन्दा राज राजेश्वरी

कख नरसिंग लुक्यूँ च

धुर्पाळ्योन् कू देब्ता आज

खन्द्वार दब्यूँ च ।

बिपदा मा च देव भूमी

हर क्वी डरयूँ च

बदरी केदार भूमियाळ अपणु

देखा कन छुप्पयूँ च । @ गीत - सर्वाधिकार सुरक्षित राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

Monday, October 6, 2014

''मेरी कलम''


अक्सर जब अवसादों से घिरा मै, 

रूकता हूँ एक चलते पथ पर, 

सिमट कर मेरी उँगलियों मे कलम,

खिँच ले जाती फिर नये सफर पर ।  - रचना

सर्वाधिकार, सुरक्षित राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी

#कलम  #सफर 


मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।