Tuesday, May 6, 2014

चंपा के फूलों की भीनी भीनी महक,

आज भी फैलती है मेरे घर गाँव में, 

कुदरत ने दिया है हमें ये अनमोल तोफा,

हम भी खेले कूदें हैं चंपा की छाव में l @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 


 



हम परिंदे ही सही मगर समाज को नहीं बांटते,
खुद की उड़ान के लिए कभी रस्ते नहीं छांटते,
रखतें हैं हौसले खुद तिनके तिनके जोड़ने का,
किसी के चेहरे पर कभी अपनी ख़ुशी के लिए नहीं झांकते l @ राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'



Saturday, May 3, 2014

संकोच तेरी आँखों में सब टकटकी लगाये पढ़ते हैं,

तूफ़ान ह्रदय का दीखता जिसे वो हम ही अकेले हैं @राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'


Thursday, May 1, 2014

वक्त को न छेड़ अपनी कुरेद कर जुवान से,

नजर वक्त की पहिचान ले भगवान भी वो शैतान भी है - गीत- कॉपी राईट  राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 

Wednesday, April 30, 2014

एक बार उठा के नजर देख लीजिये,

कल क्या जाने सामना ही न हो,

हम देखते है आपको जिन नजरों से,

कल हो या न हो वो नजरें ही न हो l कॉपी राईट - गीत -राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

Tuesday, April 29, 2014

जिगर में बैठ कर ढून्ढते रहे आशियाना वर्षों तक, 

और एक लौं के बुझते ही न जाने क्यों बिखर गए,  

यूँ तो सपने हर कोई देखता है हर बार चाँद के, 

छत से भी देखने को मिल जाय तो नसीब समझिए l कॉपी राईटस @  राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'  

ये ऊँगली कमाल की है

जिनको थामने के लिए कोई आगे नहीं बढ़ा कभी, 

उन्ही की तलास में आजकल बहुत घूम रहे है l 

लेकर नोट कोई कोई मदिरा में झूम रहे हैं,

हाल ये है अब बस्तियों का हर कोई ऊँगली चूम रहे हैं l @राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'


मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।